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Home Blog Hindi भारत में घर किराए पर देने की प्रक्रिया 

भारत में घर किराए पर देने की प्रक्रिया 

Published : January 31, 2025, 12:00 AM

Updated : January 31, 2025, 12:00 AM

Author : author_image admin

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रात का 1 बज रहा है और अनु अब तक सोई नहीं है। उसके हाथ में उसके सपनों के जॉब का ऑफर लैटर है लेकिन उसके लिए उसे दूसरे शहर में शिफ़्ट होने की ज़रुरत है, वो इंटरनेट पर इस अनजान शहर में रहने के लिए जगह खोजने में लगी है। इनमें से किस ब्रोकर को संपर्क किया जाए? क्या मोहल्ला अच्छा है? क्या मकान मालिक सही है? क्या जितने पैसे मैं खर्च कर रही हूँ उसमें  मुझे अच्छी डील मिलेगी? लेकिन, सबसे ज़रूरी क्या इतने कम समय में मुझे एक अच्छा घर या पीजी की सुविधा मिल पाएगी? हम में से अधिकतर लोग ज़िंदगी में एक न एक बार ऐसी परेशानी से ज़रूर गुज़रे होंगे और हमेशा एक आसान रास्ता मिलने की उम्मीद की होगी। चाहे वह स्वप्ननगरी हो, कभी न सोने वाला शहर हो या हमारे देश की आईटी राजधानी (कैपिटल), किराए पर घर लेना एक थका देने वाला अनुभव होता है, हम में से कुछ लोग इसे एक बुरा सपना भी कह सकते हैं।  नौकरी की तलाश में जैसे-जैसे लोग अपना आराम छोड़ कर बाहर जाने लगे हैं अनु की तरह ही हम सब परेशान होते हैं। चाहे वो नए शहर में जाना हो या शहर में ही घर ढूँढना, मकान मालिकों से सौदा करने का डर, घर देखने जाना और सबसे ज़्यादा, ब्रोकरेज की आसमान छूती कीमतों ने हमें हर बार डराया है। अगर भगवान की दया से हमें मन मुताबिक घर मिल भी गया तो, उसमें रहने जाने तक की प्रक्रिया जैसे कि अनुबंध (एग्रीमेंट), पुलिस वेरिफिकेशन, सोसाइटी के बहुत सारे अप्रूवल (अनुमति) लेना आदि सब थका देने वाली होती हैं । चलिए मान लें, कि आपने इन सब बाधाओं को पार कर भी लिया और अपनी पसंद का घर पा कर काफ़ी संतुष्ट भी  हैं, पर इतने में ही पता चलता है कि फिर से घर बदलने की बारी आ गई है और ये प्रक्रिया फिर से शुरू होने वाली है।    सही ब्रोकर ढूँढना भी अपने आप में एक कुशलता का काम है; ऊपर से उनकी ब्रोकरेज की माँग महीने के अंत में आपकी जेबें खाली कर सकती है। ये समस्या सामान्यतः उन लोगों के सामने आती है जो नौकरी की तलाश में अपना शहर छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जहाँ शुरू में तनख्वाह (सैलरी) बस 3 दशमलव /पॉइंट कुछ लाख सालाना होती है, जिसका मतलब है लगभग 20,000 रूपए महीना। जहाँ हम में से कुछ लोगों के सामने खर्च वहन करने की बात आती है, वहीं अच्छी आमदनी वालों के लिए भी घर ढूँढना आसान नहीं है। सिर्फ पैसे खर्च करना काफ़ी नहीं होता है|  पुराने ढंग से घर ढूँढने के लिए आपको बहुत सारी मेहनत और वक़्त लगाना पड़ता है चाहे आपको एक काबिल ब्रोकर ही क्यों न मिले, लेकिन ज़्यादातर लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर पैसे कमाते हैं।    क़ीमत के अलावा, अलग-अलग शहरों में घर किराए पर देने का तरीका भी अलग होता है। एग्रीमेंट का समय, ब्रोकरेज (ब्रोकर का कमीशन), सिक्योरिटी डिपॉज़िट आदि कुछ चीज़ें जगह के हिसाब से बदल सकती हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई में, आमतौर पर 11 महीने का एग्रीमेंट बनाने का प्रचलन है और फिर किराया बढ़ा कर इसे फिर शुरू किया जाता है, जबकि बैंगलोर में, एग्रीमेंट की अवधि 1 से 3 साल के बीच हो सकती है जिसके दोबारा शुरू होने के बाद किराया 10% बढ़ाया जाता है। जहाँ, बैंगलोर में 6 महीने का किराया सिक्योरिटी डिपाजिट  के रूप में लिया जाता है, वहीं मुंबई में यह एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में अलग-अलग हो सकता है। दिल्ली, गुडगाँव, हैदराबाद जैसे शहर डिपाजिट में थोड़ी रियायत देते हैं जो इस समझौते का हिस्सा ही होता है। इन शहरों में मकान मालिक करीब दो महीने का किराया डिपाजिट के रूप में माँगते हैं। इनमें से कुछ शहरों में, रेंट एग्रीमेंट का चलन अभी भी नहीं है और दोनों पक्ष बस आपसी समझौते से, हस्ताक्षर किए हुए एक पेपर और एक कप कॉफ़ी से ही राज़ी हो जाते हैं|  किराएदार को किराए के अलावा सोसाइटी के मेंटेनेंस का खर्च भी उठाना पड़ता है जो या तो मासिक होता है या तिमाही होता है। मुंबई में ये खर्चे किराए में ही शामिल रहते हैं और किराएदार को इन्हें अलग से नहीं देना पड़ता है।       ब्रोकर /दलालों के काम के तरीकों में और यहाँ तक कि रेंट एग्रीमेंट में अंतर हमें यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि इसका सबके लिये  कोई एक जैसा एक सुलझा हुआ संस्करण क्यों नहीं है। और जो युवा हैं, जिनकी बचत ज़्यादा नहीं है उनके लिए बहुत मुश्किल होता है- 1) एक नए शहर में किराए से घर लेने की प्रक्रिया को समझना 2) डिपॉज़िट की इतनी ज़्यादा रकम जमा करना 3) ऐसे ब्रोकर /दलालों से सौदा करना जो पेशेवर नहीं हैं।     अगर आप इन चीज़ों से बचने का रास्ता ढूँढ रहे हैं, तो अगली बार घर ढूँढने के लिए नोब्रोकर/ NoBroker का इस्तेमाल कीजिए। आपको यह जान कर अच्छा लगेगा कि अब घर ढूँढना कितना आसान और सुविधाजनक हो गया है।   आशीष महाजन,  Indianrealtybytes.com के संस्थापक, आईआईटी बॉम्बे और आइएसबी(ISB) के भूतपूर्व छात्र हैं। ये अपनी तरह का पहला जानकारी देने वाला पोर्टल है जो भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र को समझना आसान बनाता है।  

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