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Q.

एक घर में दो मंदिर रख सकते हैं?

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0 2024-06-29T14:14:46+00:00

नमस्ते शिल्पा, मैंने देखा की आप जानना चाहती है की ghar me do mandir rakhna chahiye ya nahi. इससे जुड़ी जानकारी मैं आपके साथ साझा कर सकती हूँ।  यदि परंपरागत रूप से देखें तो घर में सिर्फ एक मंदिर होना चाहिए। लेकिन दो मंदिर रखना वर्जित नहीं है। यह आपकी व्यक्तिगत एवं पारिवारिक ज़रुरुतों पर निर्भर करता है।  

मैंने इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी नीचे लिखी है।  

Kya Ek Ghar Me Do Mandir Rakhna Chahiye?

वास्तु शास्त्र मंदिर की दिशा अनुसार स्थापना करने की जानकारी प्रदान करता है। अपने घर में मंदिर रखने का सबसे उचित स्थान है उत्तर-पूर्व।  यह मंदिर के लिए पवित्र माना जाता है। अब यदि इसको हम दो मंदिर रखने के दृष्टिकोण से देखें तो अर्चना यह है की उत्तर-पूर्व में दोनों मंदिर को रखना अत्यंत ही कठिन काम होगा। 

इसलिए, मेरी सलाह है की आप एक ही मंदिर रखें, वहां भगवान जी की मूर्तियां बिठाएं, पूजा स्थान की रोज़ सफाई करें और मूर्तियों की आरती करें। 

यदि फिर भी आप दो मंदिर रखना चाहते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है, बहुत से लोग एक ही घर में किसी विशेष देवता की आराधना करते हैं, और अलग अलग मंदिर रखना पसंद करते हैं। 

यहाँ पर मैं अपना उत्तर समाप्त करना चाहूंगा। आशा है की अब आप जान गए होंगे की kya ek ghar mein do mandir ho sakte hain या नहीं। 

दो मंदिर को वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व में स्थापित करें नोब्रोकर की रेनोवेशन के मदद से! इससे सम्बंधित जानकारी:

वास्तु शास्त्र: घर के मंदिर की सफाई किस दिन करनी चाहिए? 

 

मेरा मानना है की एक घर का पूजा कक्ष अच्छे अनुभूति को बढ़ावा देता है। यह ऊर्जा घर के मन, शरीर और आत्मा को गहराई से प्रभावित करती है। लाभ प्राप्त करने के लिए वास्तु शास्त्र दिशानिर्देशों के अनुसार पूजा कक्ष का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। पर अगर आपका ये सवाल है कि

एक घर में दो मंदिर रख सकते हैं या नहीं (ek ghar mein do mandir rakh sakte hain) तो मैं आपको बता दू की

हां, आपको दो मंदिर बनाने की अनुमति है, लेकिन आपको इसे ठीक से बनाए रखना होगा। इसे घर के पूर्व या उत्तर पूर्व की ओर मुख करके रखना चाहिए। ये दो सबसे महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका ध्यान रख कर आप घर में दो मंदिर बनवा सकते हैं। आइये मैं आपको बताता हूँ की घर

में

मंदिर के लिए और क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए। 

नोब्रोकर के इंटीरियर डिजाइनरों की मदद से वास्तु के अनुसार अपने घर में मंदिर का निर्माण करवाएं।

एक घर में दो मंदिर होने से क्या होता है?

निर्माण के एक प्राचीन विज्ञान, वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर पूर्व पूजा कक्ष के लिए आदर्श स्थिति है। मंदिर कक्ष की स्थापना की दिशा को पूर्व, उत्तर और उत्तर-पूर्व भी माना जा सकता है। किसी अन्य दिशा-निर्देश का पालन करने से बचें। घर के मध्य में कोई विशेष पूजा हो सकती है।

पूजा कक्ष डिजाइन करना

खिड़कियों और दरवाजों का मुख क्रमशः उत्तर और पूर्व की ओर होना चाहिए। बिना दरवाजे के, खिड़कियों में दो शटर होने चाहिए।

  • पूजा कक्ष का फर्श सफेद या ऑफ-व्हाइट ग्रेनाइट से बना होना चाहिए।

  • भंडारण कैबिनेट को पूजा कक्ष के दक्षिण या पश्चिम में रखा जाना चाहिए।

  • आपके मंदिर के कमरे में एक द्वार एक अच्छा विचार है।

  • वेंटिलेटर होना जरूरी है।

  • पूजा कक्ष को सफेद, हल्के पीले या हल्के नीले रंग में सजाया जा सकता है।

पूजा कक्ष के अंदरूनी भाग
  • मूर्तियों को पूजा कक्ष के उत्तर-पूर्व कोने में और दीवारों के बीच एक इंच की दूरी पर स्थित होना चाहिए। मूर्तियों को पूजा कक्ष के प्रवेश द्वार या एक-दूसरे की ओर नहीं देखना चाहिए।

  • कमरे के उत्तर या पूर्व में कलश या पानी की विशेषता होनी चाहिए।

  • दीपक, दीपक और अग्निकुंड को दक्षिण-पूर्व में रखें।

पूजा कक्ष में किन चीजों से परहेज करें
  • शयनकक्ष का उपयोग पूजा स्थल के रूप में नहीं करना चाहिए।

  • इसे तहखाने में, पहले स्तर पर या भूतल पर नहीं रखना चाहिए। वास्तु में पूजा कक्ष को बाथरूम या किचन के ऊपर, नीचे या बगल में रखना मना है।

  • इसे सीढ़ी के नीचे नहीं रखना चाहिए।

  • टूटे हुए देवताओं को पूजा कक्ष में रखने से रोकना महत्वपूर्ण है।

  • पूर्व की ओर मुख करके पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

  • पूजा कक्ष में मृतक की तस्वीरें लेने से बचें।

  • घर में केवल एक पूजा कक्ष होना चाहिए, और इसका उपयोग भंडारण जैसी अन्य चीजों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

  • अपने मंदिर में झपकी लेने से बचें।

आशा है की अब आप समझ गए होंगे की एक घर में दो मंदिर हो सकते हैं या नहीं। 

इससे संबंधित और जानकारीः मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?  ऑफिस में मंदिर किस दिशा में होना चाहिए?

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