मैं जानता हूं कि परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति का बंटवारा हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। मेरे दोस्त को माँ की संपत्ति में बेटी का अधिकार बारे में पता नहीं था । तभी उसने एक वकील से माँ की संपत्ति पर अधिकारों के बारे में जानने के लिए सलाह ली।
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माँ की संपत्ति पर किसका अधिकार होता है ? हिन्दू के लिए :एक बेटा अपने जीवनकाल में अपनी मां की खुद से अर्जित संपत्ति में से किसी भी हिस्से का दावा नहीं कर सकता है।हालांकि, अगर एक हिंदू महिला (मां) की वसीयत के बिना मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विभाजित किया जाता है।
मां की संपत्ति में विवाहित बेटी शेयर क्या है?
पैतृक संपत्ति मुख्य विवाहित या अविवाहित बेटी को अन्य उत्तराधिकारियों के समान संपत्ति के बराबर हिस्से का दावा करने के लिए मिलेगा। बेटी को उसके वैवाहिक जीवन का हिस्सा दिया जाएगा । इसका मतलब यह है कि अगर मां की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाती है, तो बेटे का अपनी मां की स्व-अर्जित संपत्ति पर दावा होता है।बेटी और बेटे का समान अधिकार है।
मुस्लिम के लिए माँ की संपत्ति में बेटे का अधिकार :
यह व्यक्तिगत कानून हैं जो अपनी मां की स्व-अर्जित संपत्ति में बेटे के अधिकार को नियंत्रित करते हैं। आमतौर पर मुस्लिम कानून के तहत स्वअर्जित या पैतृक संपत्ति जैसा कोई भेद नहीं है। एक मुस्लिम मां के बच्चे उसके जीवित रहने पर किसी भी अधिकार का दावा कर सकते हैं। वंशानुक्रम किसी व्यक्ति की मृत्यु पर ही खुलता है।
मुझे उम्मीद है कि मेरे स्पष्टीकरण माँ की संपत्ति में बेटी का अधिकार पर आपकी मदद करता है ।
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Pita ki sampatti ke bantware ko lekar adhikansh baten sabko pata hoti hai. Lekin kya aapko pata hai ki maa ki property me beti ka haq kitna hota hai? Shayad nahin. Maa ki sampatti se jude kanoon sabhi ko pata nahin hote. Par mujhe khushi hai ki aap iske baare mein janna chahte hain. Isliye iske baare mein main jo bhi jaanti hun main aapko batati hun.
माता की संपत्ति में बेटी का अधिकार
Hindu Uttaradhikar Adhiniyam, 1956 me kisi bhi Hindu mahila ki bina vasiyat ke mrutyu ho jaane par uski sampatti ke bantware ke sambandh mein niyam banae gaye hain. Hindu Uttaradhikar Adhiniyam, 1956 ki Dhara 15(1) ke anusar mahila ki sampatti ka bantwara Dhara 16 ke tahat hona chahiye.
Is adhiniyam ke anusaar, jeevit mahila ki sampatti uske pati aur bachchon ke bich vibhajit ki jayegi. Yahan bachchon mein beta aur beti donon shaamil honge.
Dusra niyam kehta hai ki mahila ki sampatti pati ke uttar adhikariyon ko milani chahiye.
Teesre niyam mein kaha gaya hai ki mahila ki sampatti uske mata pita ko di jayegi.
Jabki chauthe niyam mein yah sampatti pita ki uttradhikariyon aur Dhara 16 ke antim niyam ke anusar mahila ki maa ke uttaradhikariyon mein banti jayegi.
Rahi baat beti ke maa ki sampatti me adhikar ki to ek vivahit beti ka apni maa ki sampatti mein bete ke barabar adhikar hota hai. Uss sthiti mein jahan maa li mrityu ho jaati hai, wahan 1956 ke adhiniyam ke anusar vivahit beti ko bete ke ke saman hissa milta hai. Vivahit beti apni mrit maa ki kanuni uttradhikari hoti hai aur baad mein use apni maa ke sampatti mein apne hisse ka dawa karne aa adhikar bhi hota hai.
Ab aapko pata hai ki
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हिंदू कानून के तहत, एक माँ संपत्ति की मालकिन बन जाती है, चाहे वह इसे वसीयत के माध्यम से प्राप्त करे या किसी अन्य विधि से। यह उसके लिए स्वअर्जित संपत्ति बन जाती है। अगर मां को अपने पिता से पैतृक संपत्ति विरासत में मिली है, यानी संपत्ति पैतृक होने के बावजूद; यह माँ की स्वअर्जित संपत्ति में बदल जाता है। पर कई लोगों को ये नहीं पता होता की maa ki sampatti par kiska adhikar hota hai (महिला की संपत्ति पर किसका अधिकार होता है?).
संपत्ति के शीर्षक की जांच के लिए NoBroker की कानूनी सेवाओं का लाभ उठाएंहिन्दू महिला संपत्ति अधिकार अधिनियम 1937
विवाहित या अविवाहित बेटियों के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में कोई मानदंड या योग्यता नहीं है। इस तरह बेटी चाहे विवाहित हो या अविवाहित, उसे अपनी सहोदर और मृतक मां के पति के साथ मां की खुद कमाई संपत्ति में बराबर का हक मिलता है। कानून में, विवाहित बेटियां हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार संपत्ति के हस्तांतरण के लिए अदालत में मुकदमा दायर कर अपना अधिकार बरकरार रख सकती हैं।
मौत के बाद मां की संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार न्यागत होती है और यह अधिनियम निर्वसीयत उत्तराधिकार पर लागू होता है। अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, निम्नलिखित व्यक्तियों को एक महिला की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति विरासत में मिलती है।
उसके ब्च्चे
पूर्व मृत बच्चों के बच्चे
पति
मृतक मां के माता व पिता
पति के वारिस
पिता और माता के वारिस
हालाँकि, माँ के जीवनकाल के दौरान, केवल माँ को ही अपने पिता की संपत्ति में अपने हिस्से का दावा करने का अधिकार है। ऐसी मां की बेटी या बेटे के रूप में, व्यक्ति पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से विभाजन के लिए मुकदमा दायर कर सकता है, जिसे मां अपने बच्चों के नाम पर निष्पादित करेगी।
मां की जमीन पर किसका हक होता है?
2005 में हुए संशोधन तक बेटियों को संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था। वे केवल परिवार के सदस्य थे और संपत्ति में उनका कोई हिस्सा नहीं था। विवाह के बाद, एक बेटी को उसके पति के परिवार के एक हिस्से के रूप में देखा जाता था। लेकिन अब बेटी के कुछ अधिकार हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार:
विवाहित और अविवाहित दोनों बेटियों का अब अपने पिता और मां की संपत्ति पर कानूनी अधिकार है।
बेटियां अब पैतृक संपत्ति में मैनेजर या कर्ता भी बन सकती हैं।
बेटियों के अपने बेटों के समान अधिकार और दायित्व हैं।
बेटियों को सहदायिक होने का समान अधिकार है।
माँ की संपत्ति में बेटा का अधिकार
मां के जीवनकाल में बेटा अपनी खुद की कमाई हुई संपत्ति में किसी भी हिस्से का दावा नहीं कर सकता है। हिंदुओं के मामले में, एक बेटा अपनी मां की स्व-अर्जित संपत्ति में अधिकार का दावा कर सकता है, अगर मां की मृत्यु बिना वसीयत के हो गई हो। पुत्र और पुत्री दोनों का समान अधिकार है।
माँ की संपत्ति में बेटी का अधिकार मुस्लिम
यदि कोई महिला मुसलमान है तो वह जीवित रहते हुए अपनी पुत्री को अपना उत्तराधिकारी बना सकती है। लेकिन मृत्यु के बाद बेटी का मां की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता है।
अब आप जानते हैं की
maa ki sampatti par kiska adhikar hota hai.
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माँ की संपत्ति पर किसका अधिकार होता है ?
Kavi
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2022-11-17T21:12:01+00:00 2023-03-29T14:30:03+00:00Comment
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