नमस्कार गजेंद्र, मुझे पता है की पूजा घर का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए। आपको वास्तु शास्त्र के तहत अपने पूजा घर का दरवाज़ा या तो उत्तर या फिर पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूजा घर के दरवाज़े से जुड़ी और भी बातें है जिनका आपको पालन करना चाहिए। मैं आपको उन सब के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देता हूँ।
मंदिर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए?
आपको अपने मंदिर के मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार ऐसे रखना चाहिए:
ध्यान रखीं की मंदिर का मुख्या द्वार लकड़ी का नहीं बना हो।
आपको मंदिर के द्वार के सामने देवता की मूर्ति रखनी चाहिए।
आपको अपने घर के मंदिर का दरवाज़े का मुख दक्षिण-पश्चिम में नहीं रखना चाहिए। यह इसलिए है क्यूंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इससे दुर्भाग्य भी आता है। अगर आप इस वास्तु दोष को दूर करना छाते हैं तो अपने मंदिर के दरवाज़े के बाहर टाइल्स पर बहगवां हनुमान जी की दो तसवीरें लगाएं।
मेरी तरफ से बस इतना ही। आशा है की इससे आपको puja room ka darwaja kis taraf hona chahiye, यह जानने में मदद होगी।
अपने घर में मंदिर वास्तु अनुसार बनवाएं नोब्रोकर की अनुभव पूर्ण रेनोवेशन सर्विस द्वारा! इससे सम्बंधित जानकारी:एक घर में दो मंदिर रख सकते हैं?
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घर में कौन-सा स्थान कहा होना चाहिए और कहा नहीं साथ ही कोई भी दिनचर्या की कृती या फिर कार्यक्रम कौन-से शुभ घड़ी में करें और कब बिल्कुल ना करें इसका विस्तारीत रूप में उचित मार्गदर्शन वास्तुशास्त्र करता है; जो की वास्तूरचना से संबंधित भारतीय संस्कृतिद्वारा स्वीकृत एक प्राचीन मानद शास्त्र है। घर का निर्माण करते समय हम मंदिर तो बनाते है जिसे घर का भक्ति-श्रद्धास्थान माना जाता है। तो उस श्रद्धास्थान यानि पूजा घर का दरवाजा किधर होना चाहिए इसके बारें वास्तुअभ्यास में क्या कहा गया है, ये यहा जानेंगे।
नोब्रोकर प्रोफेशनल होम रिनोव्हेशन सर्विसेस् से कॉन्टैक्ट करके वास्तू की रचना नूतनीकृत करवाए घर के फर्निचर्स से जुड़ी ए-वन सेवाओ के लिए नोब्रोकर प्रोफेशनल कारपेंटिंग सर्विसेस् से जरूर मिलेमंदिर का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए ?
‘मंदिर का दरवाजा किधर होना चाहिए’ ये जानने से पहले घर में मंदिर किस दिशा में होना चाहिए इसक बारें में जाने; तो पूजा घर के लिए ईशान्य कोण सबसे उचित स्थान है क्योंकि ईशान्य से ईश्वरीय शक्ति का आगमन होता है और नैऋत्य कोण से ईश्वरीय शक्ति निर्गमन करती है तो नैऋत्य में मंदिर कभी न बनवाए।
mandir ka darwaja kidhar hona chahiye वास्तुशास्त्र के अनुसार इसका जवाब है उत्तर और पूर्व दिशा। क्योंकि, पूजाघर का दरवाजा अगर इन दिशाओं में खुलेगा तो घर के श्रद्धास्थान में सदैव सकारात्मक ऊर्जा की रेलचेल होती रहेगी; घर में प्रकाश, सुख, धन की वृद्धि होगी साथ ही आपका और आपके परिवारजनों का स्वास्थ्य स्वस्थ रहेगा।
मंदिर में पूजा करते वक्त आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर रहना चाहिए। जैसे पूजाघर या पूजाघर के दरवाजे के लिए नैऋत्य कोण अनुकूल नहीं है ठिक वैसे ही पूजा घर का दरवाजा दक्षिण दिशा में भी नहीं होना चाहिए। दक्षिण दिशा या फिर पश्चिम दिशा में मंदिर दरवाजा बनाने से घर मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
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पूजा घर का दरवाजा किधर होना चाहिए?
Gajendra
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1 Year
2023-06-21T14:43:19+00:00 2023-06-27T12:46:12+00:00Comment
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