मानसिक रूप से सशक्त व्यक्ती जीतेजी अपनी वसीयत बना सकता है; जिसमें उस व्यक्ति के पश्चात उसकी चल-अचल संपत्ति के अधिकारियों कि घोषणा होती है। इस वसीयत के द्वारा हस्तांतरित होनेवाले अधिकार वसीयत बनाने वाले व्यक्ति के मृत्यु के बाद ही उन वारिसों को या संबंधित उत्तराधिकारियों को प्राप्त होते है। तो वे अधिकार प्राप्त करने का समय आने पर वसीयत के आधार पर नामांतरण की कानूनी प्रक्रिया कैसे कि जाती है, इसका ज्ञान होना चाहिए।
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वसीयत के आधार पर नामांतरण :
जिस व्यक्ति या संस्था को मरने वाले व्यक्ति ने अपनी वसीयत के द्वारा संपत्ति के अधिकारी घोषित किया है उनके द्वारा राजस्व न्यायालय में तहसीलदार के समक्ष नामांतरण प्रकरण प्रस्तुत किया जाता है।
तहसीलदार के द्वारा पटवारी से सभी वारिसों के रिपोर्ट लिए जाते है, रिपोर्ट के अनुसार अगर मृत व्यक्तिने बनाए हुए वसीयत से किसी भी वारिस को आपत्ति नहीं होती है तो राजस्व न्यायालय के अंतर्गत नामांतरण कि प्रक्रिया पूरी कि जा सकती है।
इस विधि में उस वसीयत को संबंधित गवाहों के साक्ष से प्रमाणित भी करना पड़ता है उसके बाद न्यायालय नामांतरण कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है।
लेकिन अगर वारिसों के रीपोर्ट में किसी एक या एक से ज्यादा व्यक्ति को मृत व्यक्ति का वसीयतनामा अमान्य है तो राजस्व न्यायालय उस वसीयत के आधार पर नामांतरण कि प्रोसेस रोक सकती है।
जिस किसी भी वारिस को विल से आपत्ति है उसे यह सूचना दी जाती है कि वो इस वसीयत को न्यायालय में चैलेंज करें और अपना पक्ष वहा प्रस्तुत करें।
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वसीयत के आधार पर नामांतरण की कानूनी प्रक्रिया क्या है?
Parag H
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1 Year
2023-05-22T12:18:34+00:00 2023-06-01T13:17:46+00:00Comment
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