वसीयत क्या होती है, ये तो लगभग सभी को मालूम होगा। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अपने मृत्यु के पश्चात खुदके चल-अचल संपत्ति का अधिकारी कौन होगा ये घोषित करने के लिए वसीयत करता है। ये वसीयत कब जाती है, इसकी प्रक्रिया क्या होती है, साथ ही वसीयत कितने प्रकार की होती है और एक व्यक्ती उसकी वसीयत जिंदगी में कितनी बार कर सकता है आदी बाते यहा जानते है। वसीयत कुल तीन प्रकार की होती है।
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Vasiyat kitne prakar ki hoti hai :
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वसीयत यानि विल इंडियन सक्सेशन एक्ट 1952 सेक्शन 2 (h) के तहत की जाती है।
विशेषाधिकार युक्त, विशेषाधिकार रहित और लास्ट विल ये तीन प्रकार होते है। लास्ट विल को ज्युडिशल विल भी कहते है
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वसीयत के प्रकार में से विशेषाधिकार युक्त वसीयत अनौपचारिक होती है जो की सिपाही-नौ दल, वायुदल के सैनिकों के लिए लागू होती है ये वसीयत उनकी जान अगर जोखिम में पड़ी हो तो उस अल्प समय में दो साक्षीदारों के सामने लिखित तथा मौखिक स्वरूप में घोषित कि जाती है जो लीगली मान्य है।
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विशेषाधिकार रहित वसीयत में औपचारिक विधियों को पूरा करना होता है जैसे साढ़े कागज पर वसीयत लिखके नीचे आपको अपने हस्ताक्षर करने होते है और उस वसीयत को रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है ताकि उसकी वैधता पर कोई संदेह ना रहे।
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लास्ट विल या ज्युडिशल विल जेल में कैद अपराधियों के लिए होती है वे कैदी किसी दंड को पात्र है तो उनका लास्ट विल या ज्युडिशल विल बन सकता है अगर उन्हे वो अपने चल-अचल संपत्ति के अधिकारी को वसीयत अपने हाथ से देना चाहते है तो न्यायालय से अनुमति दी जाती है।
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कायदे के अनुसार दीमागी तौर पर स्वस्थ बुद्धिवाला कोई भी व्यक्ति अपनी वसीयत बना सकता है साथ ही अपने जीवनकाल में एक व्यक्ति अनगिनत बार उसकी वसीयत बना/बदल सकता है।
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वसीयत कितने प्रकार की होती है?
Pallavi
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1 Year
2023-05-22T12:19:38+00:00 2023-05-31T16:17:22+00:00Comment
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